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लेखनी कहानी -11-Jun-2024

शीर्षक - लोग क्या कहेंगे


           हम सभी अपनी  बदनामी और इज्जत को खराब होने से डरते और शायद इसीलिए हम सोचते हैं कि लोग क्या कहेंगे ऐसी सो रहतीं हैं। परंतु हम सभी यह भूल जाते हैं जीवन में कोई अपराध करना गुनाह होता है न कि किसी से प्रेम और संबंध रखना गुनाह होता है आओ हम सभी इस बात पर आज एक कहानी पढ़ते हैं।  लोग क्या कहेंगे..............
                रंजन एक अनाथ परिवार का लड़का था जिस परिवार ने उसको पालन पोषण किया था अब वह रंजन को बड़ा होने के साथ-साथ उसके लिए शहर में एक दुकान खुलवा देते और जिस परिवार ने रंजन को बड़ा किया था वह परिवार एक एक्सीडेंट में मर जाता है।  जीवन की भी विडंबना भी कुछ अलग होती है । जिसके नसीब में अनाथ होना लिखा होता है तो वह जीवन में अनाथ ही रह जाता है।  यह तो एक कहानी है जीवन में सच तो बहुत कुछ अलग होते है। रंजन शौक में एक लेखक बन जाता है ।  और वह दुकान पर बैठकर तरह तरह की कहानी कविताएं और तरह-तरह की सोच रखते हुए । बहुत सच और सटीक शब्दों के साथ जीवन में लिखता रहता हैं। 
                 रंजन एकनाथ होता है और उसके जीवन की कोई उमंग और तरंग नहीं होती वह अपने चाय की दुकान पर लेखन के साथ-साथ ग्राहकों को चाय भी पिलाता था उसकी दुकान पर एक औरत रोजाना चाय पीने आती थी और कुछ देर बैठकर रंजन से बातें भी करती थी। धीरे-धीरे रंजन और उसे औरत जिसका नाम अनामिका था वह एक दूसरे के करीब आने लगे। रंजन को मालूम चला कि वह अनामिका औरत शादीशुदा है और उसके तीन-चार बच्चे भी परंतु अनामिका की सोच एक सुकून भरी जिंदगी की थी।  परंतु जीवन में विवाह तो उसकी बिना मर्जी की उसके घर वालों ने कर दिया था और जब विवाह हो गया तब शुरुआत में बच्चे होना तो स्वाभाविक अब है एक परिपक्व औरत बन चुकी थी और अब उसे उसकी मन भावों से उसको एक सुकून और प्यार करने वाले पति की इच्छा थी।
    वह वह रंजन सिंह तरह-तरह की बातें करती थी। और वे रंजन से कभी-कभी पैसे भी ले लिया करती थी। रंजन को अनामिका बहुत पसंद है और रंजन में भी एक अनाथ था  उसे भी अनामिका से एक आकर्षकण और प्रेम हो चुका था। और रंजन के मन में कभी-कभी अनामिका के लिए शारीरिक वासना की ख्याल आत थे। और अनामिका और रंजन एक दूसरे को चाहाने भी लगे थे। परंतु रंजन सोचता है कि लोग क्या कहेंगे अगर वह एक शादीशुदा चार बच्चों की मां से प्रेम करता है तब रंजन अनामिका को सही राह पर लाने के लिए  मन में एक सोच बनाता है।  जब  अनामिका दुकान में आती है तब रंजन उसे दुकान के दूसरे हिस्से में ले जाता है। और वहां अनामिका से कुछ वासनात्मक शब्द कहकर उसे दिखाने को कहता हैं। सब अनामिका अभी कैसी है मैं तुमसे प्रेम करती हूं परंतु मुझे नहीं मालूम था तुमने चाहत में तुम मेरे शरीर को देखना चाहते हो। रंजन कहता है अनामिका शुरुआत तो तुमने भी की थी। रंजन का प्लान सफल हो जाता है और अनामिका उससे गुस्सा होकर उससे नाता खत्म करके चली जाती है रंजन तो यही चाहता था कि उसका घर बस जाए और रहे अपने घर की सही राह पर चली जाए क्योंकि रंजन को खुद एक अनाथ था वह नहीं चाहता था यह शादीशुदा औरत की जिंदगी खराब हो वरना लोग क्या कहेंगे क्योंकि यह समाज बहुत निष्ठुर है। 
     रंजन मन भावों में आज भी अनामिका को बहुत प्यार करता हैं। काश अनामिका शादी शुदा न होती या वह तलाकशुदा होती जिससे मैं उसे अपना सकता। बस रंजन मन ही मन खुश था कि अनामिका अपने घर वापस बच्चों और पति के पास लौट गयी । रंजन‌ ईश्वर से मन ही मन अपने गलत वासनात्मक शब्द के साथ शरीर देखने को कहने की क्षमा मांगकर खुश होता हैं। और समाज लोग क्या कहेंगे यह भी एक सोच थी।  आज हम आधुनिक बनते हैं परन्तु सहयोग और समर्थन किसी को देना अन्य समाज को नहीं भाता हैं बस लोग क्या कहेंगे हमारी सोच भी रहती हैं। 

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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1 Comments

Anjali korde

12-Jun-2024 09:22 AM

V nice

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